बारिश के मौसम में रूमानी शायरी
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अपनी जैसे कोई तस्वीर बनानी थी मुझे मेरे अंदर से सभी रंग तुम्हारे निकले
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आज देखा है तुझको देर के बाद आज का दिन गुजर न जाए कही
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आँख जो उठाये तो मोहोबत का गुमा हो नजरो को झुकाये तो सिकायत सी लगे मुझे
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आप पहलु में जो बैठे तो सम्हाल कर बैठे दिल -ए - बेताब को आदत है मचल जाने का