शजर यानी पेड़ पर चुनिंदा शेर
Arrow
बुलंदी पर उन्हें मिटटी की खुशबु तक नहीं आती ये वो शाखें जिमको अब शजर अच्छा नहीं लगता
Arrow
वो मुसाफ़िर ही खुल धुप का था साये फैला कर शजर क्या करते
Arrow
एक हवेली हूँ उसका दर भी हू खुद ही आँगन खुद ही शजर भी हू
Arrow
वो घडी दो घडी जहां भी बैठे वो जमीं महके वो शजर महके
Arrow
तूने देखा है कभी एक नजर साम के बाद कितने चुप चाप से लगते है सजर शाम के बाद